Kavya Soni

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लेखनी प्रतियोगिता -03-Nov-2022 चंद्रमा की शीतलता सा

सूरज की अगन सा तुमसे
दूर रहना सनम
चंद्रमा की शीतलता सा
तेरे संग जीना हमदम
सागर की लहरों सी
संग तेरे बहती जाऊं
तुम हवा से महक बन
तुझमें घुल जाऊं
सर्द मौसम में तुम
सुनहरी धुप बन जाना
दर्द के आलम में
शीतलता बन छू जाना
मै मनचली तितली सी
तुम फूल बन मिल जाना
नई उमंगों का तुम सवेरा
रात ख्वाबों तुम ही डेरा
तुम बिन हर मौसम पतझड़
संग तेरे हर मौसम बसंत बहार
मन्नत के धागे सा पाकीजा सा
सनम तेरा प्यार
तुम्हारी बातों में चमक
चाहत में बसी जज्बातों की खनक
जगमगाते चांद की शीतलता का अहसास
संग तेरे जीना जैसे तपते रेगिस्तान में
हो जाए शीतल बूंदों की बरसात


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8 Comments

Bharti

06-Nov-2022 04:54 PM

बहुत ही बढ़िया 👌👌

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Abhinav ji

04-Nov-2022 09:30 AM

Very nice👍

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Haaya meer

03-Nov-2022 09:40 PM

Amazing

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